हुगली, 28 अप्रैल: वर्ष 2014 और 2019 में मोदी नाम के प्रचंड लहर के बावजूद भारतीय जनता पार्टी तृणमूल कांग्रेस के मजबूत किले श्रीरामपुर को भेदने में नाकाम रही थी। वर्ष 2014 में इस लोकसभा सीट से तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार बप्पी लाहिड़ी 2,87,712 मत पाकर तीसरे नंबर पर रहे थे। वर्ष 2019 में तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार देवजीत सरकार 5,39,171 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे।

इस बार श्रीरामपुर लोकसभा सीट पर राजनीतिक समीकरण कुछ अलग हैं। अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के बाद वर्ष 2024 में भाजपा उम्मीदवार कबीर शंकर बोस राम और मोदी के नाम का भरोसा है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण कबीर शंकर बोस का संकल्प पत्र है जिसमें सबसे ऊपर कबीर ने श्रीरामपुर के राम सीता मंदिर का जीर्णोद्धार कर भव्य रूप में उसके प्रतिष्ठा की बात कही है। यह भी समझना होगा कि वर्ष 2024 में राम के प्रति तृणमूल कांग्रेस का रवैया भी बदला है। अमूमन रामनवमी से सार्वजनिक तौर पर खुद को दूर रखने वाले तृणमूल नेताओं को भी वर्ष 2024 में राम का नाम श्रद्धा से लेते हुए देखा गया है। अब तो श्रीरामपुर लोकसभा केंद्र के तृणमूल नेता भी खुले मंच से बेझिझक जय श्रीराम का नारा लगा रहे हैं।
रामनवमी के दौरान तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार कल्याण बनर्जी को बार-बार प्रभु श्रीराम का पूजन करते हुए देखा गया है। इससे यह तो बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि श्रीरामपुर लोकसभा क्षेत्र में श्रीराम के नाम पर भाजपा का एकाधिकार नहीं रह गया है। श्रीरामपुर भगवान जगन्नाथ के भक्तों का शहर है और पश्चिम बंगाल सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर महेश के ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया है और उसे पर्यटनस्थल के रूप में विकसित किया है।

उत्तरपाड़ा, श्रीरामपुर और चांपदानी विधानसभा क्षेत्रों में कुछ तृणमूल कार्यकर्ताओं के असंतोष ने भाजपा उम्मीदवार कबीर शंकर बोस के मन में उम्मीद की किरण जगाई है। लेकिन कबीर शंकर बोस को श्रीरामपुर से भाजपा का टिकट मिलने के बाद भाजपा के एक बड़े वर्ग में कबीर के खिलाफ भी असंतोष खुलकर सामने आ गया है। इसलिए बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं ने अब तक खुद को चुनाव से दूर रखा हुआ है।
कबीर शंकर बोस वर्ष 2021 में श्रीरामपुर विधानसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार थे। भाजपा के असंतुष्ट कार्यकर्ताओं का कहना है कि चुनाव हारने के बाद वे भाजपा कार्यकर्ताओं को उनके हाल पर छोड़ कर अज्ञातवास में चले गए थे। फिर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अचानक प्रकट हो गए। इसलिए भाजपा का आम कार्यकर्ता कबीर को स्वीकार नहीं कर पा रहा है।

वहीं श्रीरामपुर लोकसभा सीट से तीन बार के सांसद और तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार कल्याण बनर्जी ने श्रीरामपुर के लोगों का साथ कभी नहीं छोड़ा। कल्याण बनर्जी को सालों भर हमेशा छोटे बड़े कार्यक्रमों में लोगों के बीच देखा गया। कल्याण बनर्जी मोदी सरकार के खिलाफ संसद से सड़क तक सबसे सशक्त तरीके से आवाज उठाने वाले नेताओं में शामिल हैं। वर्ष 2009 में श्रीरामपुर लोकसभा सीट से पहली बार चुने जाने के बाद गत 15 वर्षों में श्रीरामपुर में स्वास्थ, शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं के विकास हेतु सांसद निधि से खर्च किए गए एक एक पैसे का हिसाब लेकर कल्याण बनर्जी जनता के बीच जा रहे हैं। हालांकि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि श्रीरामपुर में कल्याण बनर्जी के खिलाफ एक विरोध की लहर भी है जो 15 वर्षों तक सांसद रहने के बाद किसी के लिए भी स्वाभाविक है। फिर भी एक ऐसे समय में जब तृणमूल कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे है, तृणमूल के कई कद्दवार नेता जेल की हवा खा रहे है। लेकिन कल्याण बनर्जी पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है। पंद्रह वर्षों तक लगातार सांसद रहने के बाद भी कल्याण बनर्जी की साफ सुथरी छवि उन्हें जीत का एक प्रबल दावेदार बनाती है। हालांकि फिर भी विरोधी आरोप लगा रहे हैं कि 15 वर्षों में सिर्फ कल्याण बनर्जी का ही कल्याण हुआ है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार श्रीरामपुर लोकसभा सीट से माकपा उम्मीदवार दीपशिता धर किंगमेकर की भूमिका अदा कर सकती हैं। माकपा की इस युवा और ऊर्जावान उम्मीदवार से बामदलों को काफी उम्मीदें है। माकपा को ऐसा लगता है कि दीपशिता वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में माकपा से भाजपा में खिसके हुए वोट बैंक को पुनः वापस ला सकती हैं। साथ ही तृणमूल कांग्रेस के अल्पसंख्यक वोट बैंक में भी दीपशीता इस बार बड़े पैमाने पर सेंध लगा सकती हैं। यदि ऐसा हुआ तो श्रीरामपुर में भाजपा पुनः वर्ष 2014 वाली स्थिति में अर्थात तीसरे नंबर पर जा सकती है।
आगामी 20 अप्रैल को पांचवे चरण के मतदान के दौरान श्रीरामपुर लोकसभा सीट पर मतदान होना है। चुनाव में अब 22 दिन का समय शेष रह गया है। दीवार लेखन, पोस्टर, बैनर और घर घर प्रचार के मामले में तृणमूल कांग्रेस भाजपा और माकपा से बहुत आगे निकल चुकी है। एक तरफ तृणमूल उम्मीदवार कल्याण बनर्जी इस भीषण गर्मी में अपने प्रचार में जमके पसीना बहा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस के अन्य नेता भी सुबह शाम लोगों के घरों में जाकर तृणमूल कांग्रेस और कल्याण बनर्जी के लिए वोट मांग रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ भाजपा और माकपा के उम्मीदवारों को श्रीरामपुर लोकसभा क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में प्रचार करते हुए देखा जा रहा है। लेकिन अब तक उनके कार्यकर्ता वोट मांगने के लिए लोगों के घरों तक नहीं पहुंच पाए हैं।
बहरहाल, श्रीरामपुर के निवर्तमान सांसद कल्याण बनर्जी चौथी बार सांसद बनने को लेकर आश्वत हैं। वहीं कबीर को भरोसा है कि राम और मोदी के नाम पर उनकी नैया पार लग जाएगी जबकि माकपा का मानना है कि दीपशिता उनका खिसका हुआ वोट बैंक वापस लाकर उन्हें जीत दिलाएगी। बहरहाल, आगामी चार जून को श्रीरामपुर के मतपेटियों की गणना के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि श्रीरामपुर की जनता ने किस पर विश्वास किया है।