कोलकाता, 15 अप्रैल। चौथी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (2025) के अनुसार, भारत के दक्षिणी राज्य पुलिसिंग, न्याय वितरण और जेल प्रबंधन में शीर्ष पर हैं। कर्नाटक ने बड़े और मध्यम राज्यों में पहला स्थान हासिल किया, जबकि पश्चिम बंगाल सबसे निचले स्थान पर रहा। दक्षिणी राज्यों – कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु – ने शीर्ष पांच स्थान लिए। पश्चिम बंगाल (3.63 अंक) के बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड और राजस्थान निचले स्थानों पर रहे। छोटे राज्यों में सिक्किम पहले और गोवा आखिरी स्थान पर रहा।
रिपोर्ट में न्याय के चार स्तंभों – पुलिस, जेल, न्यायपालिका और कानूनी सहायता – के आधार पर रैंकिंग की गई। प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार रहे।
राष्ट्रीय पुलिस-जनसंख्या अनुपात 155 प्रति लाख है, जो स्वीकृत 197.5 से कम है। बिहार में यह अनुपात सबसे खराब (81 प्रति लाख) है। बिहार ने 2022-25 में पुलिस श्रेणी में सबसे अधिक सुधार दिखाया।
राजस्थान, केरल और मध्य प्रदेश ने न्यायिक संकेतकों में सबसे अधिक सुधार किया।
जेल आबादी में 10 साल में 50% वृद्धि हुई, विचाराधीन कैदियों का अनुपात 66% से बढ़कर 76% हुआ। ओडिशा और झारखंड ने जेल संकेतकों में सबसे अधिक सुधार किया।
कानूनी सहायता के क्षेत्र में हरियाणा ने सबसे अधिक प्रगति की।
रिपोर्ट बताती है कि आपराधिक-न्याय प्रणाली का अधिकांश बजट वेतन में खर्च होता है, जिससे बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षण के लिए कम धन बचता है। इससे पुलिसिंग और न्यायिक सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश संजय किशन कौल ने सुधारों के लिए न्यायपालिका, सरकार और सिविल सेवाओं से यथास्थिति को चुनौती देने और सार्वजनिक दबाव को सामाजिक मांग बनाने का आह्वान किया।