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मुक्तक
हंसते-खिलखिलाते चेहरों की बिलख रही मुस्कान आज
चालीस पार जिंदगी के सारे ध्वस्त हुए अरमान आज
हम अभ्यर्थी बेदाग बेवजह सज़ा पाने को मजबूर हुए और
चयन प्रणाली के गुनहगार सभी, हो गए अंतर्ध्यान आज।
कवि हुगली जिले के एक प्रतिशत हिंदी विद्यालय के प्रधानाचार्य हैं।