हुगली, 07 जुलाई: प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी हुगली जिले के श्रीरामपुर के महेश की ऐतिहासिक रथयात्रा धूमधाम से निकाली गई। महेश के ऐतिहासिक रथ में सवार होकर भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम रविवार शाम अपने मामा के घर पहुंचे।

पुरी की रथयात्रा के बाद महेश की रथयात्रा विश्व की दूसरी सबसे प्राचीन रथयात्रा मानी जाती है। महेश की रथयात्रा पश्चिम बंगाल की सबसे प्राचीन रथयात्रा है जिसकी शुरुआत सन 1596 में हुई थी। महेश के इस 628 वर्ष पुराने रथयात्रा में शामिल होने के लिए पश्चिम बंगाल सहित देश के अन्य राज्यों से लाखों श्रद्धालु आए थे। भगवान जगन्नाथ की इस रथयात्रा के दौरान विदेशी पर्यटक भी श्रीरामपुर में बड़ी संख्या में मौजूद रहे। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए इस वर्ष चन्दननगर पुलिस कमिश्नरेट की ओर से खास इंतजाम किये गये थे। इस बार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में आये श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सिविक वोलेंटियर्स, महिला पुलिस सहित बड़ी संख्या में पुलिस के जवानों को तैनात किया गया था। पूरे रथ यात्रा की सीसीटीवी और ड्रोन कैमरे से निगरानी की जा रही थी। मौके पर स्थानीय सांसद कल्याण बनर्जी, चंदनगर पुलिस कमिश्नरेट के पुलिस कमिश्नर अमित पी जावलगी सहित कई गणमान्य लोगों को देखा गया।

उल्लेखनीय है कि यह दुनिया की दूसरी सबसे प्राचीन रथयात्रा है| यह रथयात्रा सन 1396 से निकली जा रही है। सैकड़ों वर्ष पहले महेश से लकड़ी के रथ में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकली जाती थी। लेकिन वर्तमान में जो लोहे का रथ मौजूद है उसको दिव्य कृष्णचंद्र के संरक्षण में मार्टिन बर्न कंपनी द्वारा तैयार किया गया था। नया रथ चार मंजिला है जो कि 50 फुट ऊंचा है और इसका वजन 125 टन है। बारह पहियों वाले इस भव्य रथ को रस्सी से बांधकर खींचा जाता है। इस रथ में सवार होकर भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा अपने मामा के घर जाते हैं।
