हुगली, 27 जून । पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के श्रीरामपुर स्थित महेश में शुक्रवार को 629वीं रथयात्रा परंपरागत रीति-रिवाज और श्रद्धा के साथ निकाली गई। जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की रथ यात्रा देखने के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु महेश पहुंचे और भक्ति-भाव से सराबोर इस ऐतिहासिक यात्रा में शामिल हुए।
महेश की रथयात्रा देश की दूसरी सबसे पुरानी और बंगाल की सबसे प्राचीन रथयात्रा मानी जाती है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1397 में हुई थी। इसे ‘बंगाल का पुरी’ भी कहा जाता है।
इस वर्ष भी परंपरा के अनुसार, विशालकाय लकड़ी के निर्मित भव्य रथ को श्रद्धालुओं ने रस्सियों से खींचा। रथ पर भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियों को विराजमान किया गया। यात्रा विधिपूर्वक पूजा-अर्चना के बाद प्रारंभ हुई।रथयात्रा के अवसर पर भजन-कीर्तन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। रथयात्रा के दौरान ड्रोन से रूट की निगरानी की गई। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल और स्वयंसेवक तैनात थे ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। चंदननगर पुलिस कमिश्नरेट के कमिश्नर अमित पी जावलगी, हुगली की जिलाधिकारी मुक्ता आर्य, श्रीरामपुर के सांसद कल्याण बनर्जी सहित कई गणमान्य लोग रथयात्रा के दौरान मौजूद रहे।
परंपरा के अनुसार, सात दिनों के बाद ‘उल्टा रथ’ (वापसी यात्रा) निकाली जाएगी, जिसमें भगवान पुनः अपने मूल मंदिर में लौटेंगे।
महेश की यह रथयात्रा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सामुदायिक सहभागिता का जीता-जागता उदाहरण है।