जोरहाट(असम), 25 जुलाई। ऊपरी असम के जोरहाट नगरी में श्री दिगम्बर जैन समाज जोरहाट के तत्वावधान में वर्तमान में जोरहाट नगर में विराजमान परम पूज्य गणिनी प्रमुख आर्यिका १०५ सुपाश्वर्मति माताजी की सुयोग्य शिष्या सम्यकज्ञान सरिता परम पूज्य आर्यिका गरिमामती माताजी एवं गंभीरमति माताजी के चातुर्मास कलश स्थापना का भव्य समारोह आयोजित किया गया। भव्य समारोह में जोरहाट जैन धर्मावलंबियों के साथ जोरहाट के आसपास इलाकों के जैन श्रद्धालुओं ने भी बढ़चढ़कर भाग लिया।
कार्यक्रम में ध्वजारोहण श्री अजित कुमार जी चांदूवाड दुधनाई वालों के द्वारा किया गया तत्पश्चात मण्डप उद्घाटन, मंच उद्घाटन, मंगलाचरणरत्न वृष्टि, चित्रअनावरण, दीप प्रज्वलन, मुख्य मंगल कलश आराधना कलश, पंच परमेष्ठी कलश, चातुर्मास अखण्ड दीप प्रज्वलन शास्त्र भेंट, पाद प्रक्षालन, वस्त्र भेंट के साथ भव्य आयोजन किया गया।

जैन धर्मानुसार दिगम्बर मुनि निरंतर पूरे वर्ष पद विहार करते है किन्तु वर्षा ऋतु आते ही वह चार माह के लिये किसी निश्चित स्थान पर रूक जाते हैं क्योंकि बरसात के मौसम में असंख्यात जीव उत्पन्न होने लगते हैं। उन जीवों की रक्षा हेतु जैन मुनि महाराज/ आर्यिका अहिंसा धर्म का पालन करते हैं एवं वहां वे धर्मानुरागी वन्धुओं को प्रबचन लाभ देते हुये धर्मप्रभावना करते हैं।

इस मौके पर जोरहाट जैन समाज के सचिव अरबिन्द कुमार जैन ने कहा कि माताजी (ससंघ) का वर्षायोग मंगल कलश स्थापना से हम सभी धर्मानुरागी बन्धुओं को चार माह तक गुरूमाँ के सान्निध्य के साथ-साथ अमृतवाणी का लाभ प्राप्त होगा इसके साथ ही अरबिन्द कुमार जैन ने सभी पधारे हुये अतिथियों एवं समस्त श्रावकों के साथ साथ जोरहाट जैन समाज के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया जिसकी वजह से यह आयोजन भव्यता के साथ सम्पन्न किया जा सका।

रिपोर्ट: अरुण कुमार जैन, जोरहाट