साहित्य

आम जनता के दर्द को बयां करता व्यंग्य ‘सब अच्छे लगते हैं बस…’

प्रमोद कुमार तिवारी सब अच्छे लगते हैं,बस........   बहुत अच्छे लगते हैं, हरे-भरे खेत,  फूलों से पटी पड़ी फूलवारी, फलों...

Read more

ऋण माफी, सब्सिडी, लोकलुभावन वादों पर व्यंग करती कविता ‘बहेलिया और कबूतर’

प्रमोद कुमार तिवारी बहेलिया और कबूतर बहेलिया और कबूतर की कहानी हर कोई जानता है, हर बार बहेलिया आता है,...

Read more

प्रजातंत्र के वर्तमान परिदृश्य पर चोट करती कविता ‘प्रतिवाद पर पहरा’

प्रमोद कुमार तिवारी प्रतिवाद पर पहरा प्रजातंत्र में प्रतिवाद करने के लिए भी, खटखटाना पड़ता है, न्यायालय का दरवाजा, संविधान...

Read more

देश की वर्तमान परिस्थिति पर ज्वलन कविता: प्रजातंत्र या गुंडा तंत्र

प्रमोद कुमार तिवारी प्रजातंत्र या गुंडा तंत्र? चुनाव या दखल ? स्वजनहारा परिजन या स्वजनपोषन करते नेता? नेता अब कोई...

Read more
Page 1 of 2 1 2
  • Trending
  • Comments
  • Latest

Recent News

Welcome Back!

Login to your account below

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Add New Playlist

error: Content is protected !!