पश्चिम बंगाल में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के खिलाफ हाल ही में हुई हिंसक घटनाएं, खासकर मुर्शिदाबाद, मालदा, दक्षिण 24 परगना और हुगली जैसे जिलों में, व्यापक चर्चा का विषय बन गई हैं। ये घटनाएं 8 अप्रैल 2025 से शुरू हुईं और विभिन्न रूपों में अबतक जारी हैं।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को संसद के दोनों सदनों में पारित होने और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद 8 अप्रैल 2025 से पूरे देश में लागू किया गया। इस कानून का उद्देश्य वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली में सुधार, संपत्तियों के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, और अनधिकृत कब्जों पर कार्रवाई करना बताया गया। हालांकि, कई मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने इसे धार्मिक स्वायत्तता और वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व अधिकारों के खिलाफ माना। इसने देशभर में विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल में स्थिति सबसे गंभीर रही।
पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला, जहां मुस्लिम आबादी लगभग 66% है, इस हिंसा का केंद्र रहा। आठ अप्रैल 2025 को जंगीपुर के रघुनाथगंज थाना क्षेत्र के उमरपुर-बनीपुर इलाके में वक्फ कानून के खिलाफ एक विरोध रैली निकाली गई। यह रैली PWD ग्राउंड, जंगीपुर में कई संगठनों द्वारा आयोजित थी। प्रदर्शनकारी कानून को वापस लेने की मांग कर रहे थे।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को एक तय जगह पर रुकने को कहा, लेकिन भीड़ राष्ट्रीय राजमार्ग-12 की ओर बढ़ी और सड़क जाम कर दी। पुलिस द्वारा रोकने की कोशिश पर प्रदर्शनकारियों ने पथराव शुरू कर दिया। स्थिति बेकाबू होने पर भीड़ ने दो पुलिस वाहनों में आग लगा दी और कई अन्य वाहनों में तोड़फोड़ की। पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा। कुछ खबरों में आरोप लगाया गया कि पुलिस ने गोलियां भी चलाईं, जिससे एक व्यक्ति घायल हुआ, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
हिंसा को नियंत्रित करने के लिए जंगीपुर में 11 अप्रैल तक इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं और धारा 163 लागू की गई, ताकि अफवाहें न फैलें। भारी पुलिस बल और BSF को तैनात किया गया। 118 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई। शमशेरगंज में उपद्रवियों ने शनिवार को पिता पुत्र की हत्या कर दी।
नौ अप्रैल को सुती में शुक्रवार की नमाज के बाद प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-12 को जाम किया। पुलिस वैन पर पथराव हुआ, जिसमें 10 पुलिसकर्मी घायल हुए।
मालदा, दक्षिण 24 परगना, और जिलों में भी सड़क जाम, पथराव, और वाहनों में आगजनी की घटनाएं देखने को मिलीं। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमले किए और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
पूर्व मिदनापुर के रतुलिया बाजार में एक होटल और मंदिर में तोड़फोड़ की खबरें आईं, जिसके बाद BJP ने विरोध प्रदर्शन किया और तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया।
राज्य के विभिन्न इलाकों में हो रही हिंसा पर राजनीतिक दलों ने अपनी सहूलियत के हिसाब से प्रतिक्रियाएं दी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वक्फ कानून राज्य में लागू नहीं होगा और उनकी सरकार मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों की रक्षा करेगी। उन्होंने केंद्र सरकार को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। ममता ने यह भी कहा कि यह कानून केंद्र ने बनाया है, इसलिए जवाब भी केंद्र को देना चाहिए।
राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने हिंसा को लोकतंत्र के खिलाफ बताया और राज्य सरकार को तुरंत सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
BJP ने ममता बनर्जी पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया और हिंसा को उनकी विफलता का परिणाम बताया। AIMIM और कांग्रेस ने कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, इसे असंवैधानिक करार दिया। सड़क जाम और आगजनी से यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। राष्ट्रीय राजमार्ग-12 कई घंटों तक बंद रहा।
मुर्शिदाबाद जैसे क्षेत्रों में तनाव का माहौल रहा, खासकर रामनवमी के दौरान शोभायात्राओं के साथ विरोध प्रदर्शनों के एक साथ होने से स्थिति और जटिल हो गई।
सुप्रीम कोर्ट में इस कानून के खिलाफ 15 याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर 15 अप्रैल 2025 को सुनवाई होनी है।
इन प्रदर्शनों को कुछ लोग मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता की रक्षा के लिए देखते हैं, जबकि अन्य इसे राजनीतिक उकसावे का परिणाम मानते हैं। ममता बनर्जी की टिप्पणी कि “कानून लागू ही नहीं होगा, तो हिंसा क्यों?” ने इस बहस को और गहरा दिया। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि स्थानीय स्तर पर उकसावे और अफवाहों ने हिंसा को बढ़ावा दिया।