रामनवमी 2025 बंगाल में न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि यह सांस्कृतिक एकता, राजनीतिक रणनीति और प्रशासनिक कुशलता का मिश्रण बन गया। यह देखना सुखद है कि तमाम तनावों के बीच लोगों ने उत्सव की भावना को जिंदा रखा और पुलिस ने शांति सुनिश्चित की।
इस बार के रामनवमी ने ममता बनर्जी के “धर्म व्यक्तिगत होता है, उत्सव सबका होता है” के नारे को साकार किया है।
इस साल रामनवमी का आयोजन जितना धार्मिक उत्सव था, उतना ही यह एक सामाजिक और राजनीतिक मंच भी बन गया था।
यह प्रशंसनीय है कि व्यापक पुलिस व्यवस्था—5,000 से अधिक पुलिसकर्मी, ड्रोन, सीसीटीवी और संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त सतर्कता—के कारण रामनवमी का आयोजन बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण रहा। हथियारों प्रदर्शन और कुछ जगहों पर तनाव के बावजूद, पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर स्थिति को नियंत्रित किया।
इस वर्ष रामनवमी के दौरान लड्डू वितरण और जुलूसों पर पुष्प वर्षा जैसी तस्वीरें वास्तव में दिल को छूने वाली थीं। इन तस्वीरों ने बता दिया कि बंगाल की सांस्कृतिक पहचान, जो सहअस्तित्व और उत्सव की भावना से जुड़ी है, अभी भी मजबूत है। हिंदुओं और मुसलमानों ने जुलूस में साथ आकर बीजेपी के कथित “सांप्रदायिक ध्रुवीकरण” के प्रयासों को नाकाम कर दिया है।
बीजेपी और टीएमसी के बीच तीखी नोकझोंक इस आयोजन का एक बड़ा हिस्सा रही। शुवेंदु अधिकारी का “15 मिलियन हिंदू सड़कों पर उतरेंगे” और सुकांत मजूमदार का “इतनी पुलिस क्यों?” जैसे बयान बीजेपी की रणनीति को दर्शाते हैं, जो रामनवमी को हिंदू एकता और वोटबैंक के लिए भुनाने की कोशिश करती है। दूसरी ओर, टीएमसी ने इसे शांतिपूर्ण और समावेशी बनाए रखकर अपनी छवि को मजबूत करने की कोशिश की। कुणाल घोष का जवाब इस बात का संकेत है कि टीएमसी इसे अपनी प्रशासनिक सफलता के रूप में पेश कर रही है।
पहले बंगाल में चैत्र के अंत में अन्नपूर्णा और बसंती पूजा अधिक प्रचलित थीं, और रामनवमी का यह भव्य रूप हाल के वर्षों में उभरा है। भगवा झंडे, बाइक जुलूस और हथियारों का प्रदर्शन जैसे तत्व बीजेपी और हिंदुत्व संगठनों के प्रभाव को दिखाते हैं, जो इसे एक नए रूप में स्थापित कर रहे हैं। हालांकि, बंगाल की जनता ने इसे अपनी शैली में ढाल लिया, जिसमें उत्सव का मूड और सहभागिता प्रमुख रही।
हथियारों की आवाजें और लाठी-डंडों की मौजूदगी चिंताजनक है, और पिछले वर्षों के आरोप कि जुलूस कानून-व्यवस्था को बाधित करने की कोशिश की, लेकिन इस बार भी कुछ हद तक सच साबित हुए। लेकिन पुलिस की सक्रियता—जैसे हथियार जब्त करना, मार्ग बदलना और चेतावनी देना—ने इसे नियंत्रण में रखा।