कोलकाता, 1अप्रैल: पाथरप्रतिमा में पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट की जांच एनआईए से कराई जानी चाहिए। केंद्रीय राज्य मंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने मंगलवार को यह मांग की। नबान्न ने भी घटना पर रिपोर्ट तलब की है।
सुकांत मंगलवार को अपने लोकसभा क्षेत्र बालुरघाट से सड़क मार्ग से बागडोगरा हवाई अड्डा पहुंचे। वहां से वह दिल्ली के लिए रवाना हुए। बागडोगरा हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने पाथरप्रतिमा में एक पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट के सिलसिले में राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर निशाना साधा।
इस दिन सुकांत मजूमदार ने कहा, “राज्य में हर दो से तीन महीने में ऐसी घटनाएं देखने को मिलती हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य को बारूद की ढेर पर खड़ा कर दिया है। इस घटना में कोई भारत विरोधी ताकत शामिल है या नहीं, इसकी जांच जरूरी है। ममता बनर्जी की प्रेरणा से दक्षिण 24 परगना पूरी तरह से जिहादियों के हाथों में चला गया है। अब उत्तर 24 परगना में जिहादीकरण चल रहा है। इसमें जमात और बांग्लादेशी ताकतों के बीच संबंध हो सकते हैं। इसकी जांच होनी चाहिए। मैं दिल्ली लौटने के बाद माननीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर जांच का अनुरोध करूंगा। जरूरत पड़ने पर एनआईए जांच कराई जानी चाहिए।”

इसके बाद उन्होंने घटना के लिए पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया और कहा, “इस घटना के बारे में सभी को पता था।”
दूसरी ओर, नबान्न सूत्रों के अनुसार, पाथरप्रतिमा की घटना को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी काफी चिंतित हैं। वह स्वयं घटना की जांच पर नजर रख रहीं हैं। उनके आदेश पर नबान्न ने इस मामले पर जिला मजिस्ट्रेट से रिपोर्ट तलब की है।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, धोलाहाट, पाथरप्रतिमा में घनी आबादी वाले इलाके में लंबे समय से अवैध पटाखा फैक्ट्री चल रही थी। आरोप है कि यह पटाखा फैक्ट्री एक दशक से भी अधिक समय से बिना किसी प्रशासनिक निगरानी के चल रहा था। इस घटना में केवल चंद्रकांत बानिक और तुषार बानिक को गिरफ्तार कर लिया गया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार गिरफ्तार चंद्रकांत की पूछताछ रिपोर्ट भी नबान्न को भेजी जाएगी।
इस बीच, इस घटना से राज्य की राजनीति में फिर से सरगर्मी बढ़ गई है। दूसरी ओर, स्थानीय निवासियों का आरोप है कि पुलिस का एक वर्ग अवैध कारखानों की गतिविधियों का समर्थन कर रहा है। स्थानीय निवासियों ने दावा किया कि पुलिस नियमित रूप से फैक्ट्री मालिकों से पैसे लेती है।
हालाँकि, राज्य सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में पटाखा कारखानों को कानूनी ढांचे के तहत लाने के लिए कई पहल की घोषणा की है। लाइसेंसिंग, प्रशिक्षण और यहां तक कि ‘ग्रीन पटाखा हब’ के निर्माण की भी घोषणा की गई। लेकिन हकीकत में ऐसी अवैध फैक्ट्रियां अभी भी विभिन्न जिलों में फैली हुई हैं। विपक्ष इस बात पर मुखर है कि कैसे ये कारखाने प्रशासन की नाक के नीचे सुचारू रूप से चल रहे हैं। अब देखना यह है कि नबान्न को भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन क्या कार्रवाई करता है।