राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष के कगार पर है। इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, संगठन के शीर्ष नेता संघ को देश में और अधिक गहराई तक फैलाना चाहते हैं। हाल ही में कर्नाटक के बेंगलुरु में आयोजित एक बैठक में ऐसा प्रस्ताव रखा गया था।
आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा हर साल मार्च में आयोजित की जाती है। संघ की नीतियों के निर्धारण हेतु यह सर्वोच्च स्तरीय बैठक है। इस बैठक में यह तय किया जाता है कि संघ पूरे वर्ष कैसे काम करेगा। इस बार यह बैठक 21 से 23 मार्च तक बेंगलुरू में हुई।
पारंपरिक बैठक का उद्घाटन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने किया। देश भर से संघ के प्रतिनिधि वहां उपस्थित थे। बंगाल से जिष्णु बसु व जलधर महतो समेत कई लोग मौजूद थे।
आरएसएस सूत्रों के अनुसार, इस तीन दिवसीय मेगा बैठक में कई प्रस्तावों पर चर्चा की गई। उनमें से एक मुद्दा संघ के प्रचार और विस्तार पर विशेष जोर देने का था। उस चर्चा के दौरान यह बात उभर कर सामने आई कि संघ को अगले एक वर्ष के भीतर प्रत्येक गांव और मोहल्ले तक ले जाना होगा।

संघ की ओर से बताया गया कि एक सुनियोजित योजना के तहत पिछले एक साल में देशभर में 10,000 शाखाएं जोड़ी गई हैं। इस बार मानव विकास और राष्ट्र निर्माण के कार्य को स्थानीय और ग्राम स्तर तक ले जाने की योजना बनाई गई है। इसलिए संघ अगले वर्ष हर गांव और मोहल्ले तक पहुंचना चाहता है। पंचपरिवर्तन, अर्थात सामाजिक परिवर्तन की पांच प्रवृत्तियाँ, आने वाले वर्षों में संघ का मुख्य लक्ष्य बन जाएंगी। शाखा विस्तार योजना के अनुरूप संघ नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली, सामाजिक समरसता, पारिवारिक मूल्यों और आत्मनिर्भर समाज के निर्माण के लिए व्यवस्था परिवर्तन पर भी विशेष जोर देगा।
संघ की ओर से यह भी बताया गया कि पिछले 99 वर्षों में संघ ने समाज की अच्छी ऊर्जा को एकीकृत करके अपनी शाखाओं से विस्तार किया है और देश सेवा के हर पहलू में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राम मंदिर बचाव जैसे आंदोलन भारत की सांस्कृतिक मुक्ति के लिए देश के सभी समुदायों और क्षेत्रों को एकजुट करने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर सीमा सुरक्षा तक, शासन में भागीदारी से लेकर ग्रामीण विकास तक, जीवन के सभी क्षेत्रों में स्वयंसेवकों की उज्ज्वल उपस्थिति है।
बैठक में कई प्रस्ताव भी अपनाए गए। चूंकि बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार अत्याचार और हमले होने के आरोप हैं, इसलिए बांग्लादेश इस बैठक के मुख्य एजेंडा में से एक था। इस पर चर्चा हो रही है। इस संबंध में आरएसएस प्रवक्ता जिष्णु बसु ने कहा, “देश भर के प्रतिनिधियों ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है।”
पिछले कुछ वर्षों में संघ ने सामाजिक जागरण के कार्य में महिलाओं की भागीदारी तथा परिवार व्यवस्था की पवित्रता की रक्षा पर बल दिया है तथा आने वाले वर्ष में इस कार्य को जमीनी स्तर तक ले जाना है। इस मुद्दे पर भी चर्चा की गई है।