रिषड़ा, 24 अक्तूबर(डेस्क): रिषड़ा शहर यूनिक है क्योंकि रिषड़ा नाम का कोई दूसरा शहर देश-दुनियां में कहीं भी नहीं हैं। जादवपुर विश्वविद्यालय के एक अनुसंधान के अनुसार इस नाम का कोई दूसरा शहर या गांव पूरे भारत में नहीं है।
पवित्र हुगली ( गंगा )नदी के दाहिने किनारे पर स्थित रिषड़ा एक घनी आबादी वाला प्रसिद्ध औद्योगिक शहर है । यह शहर हुगली जिले के श्रीरामपुर महकमे के अंतर्गत आता है। पुराने समय में इसे अलग-अलग नामों से विभूषित किया गया है जैसे रेशा, रिषड़ा, इसरा, एकरा इत्यादि। ऐसा बताया जाता है कि सेन वंश के शासनकाल के दौरान किसी समय में इस शहर में ऋषियों का बहुत जमावड़ा हुआ करता था। इसी कारण इस शहर का नाम रिषड़ा हो गया।
फ्रांसीसी यात्री वर्निया ने रिषड़ा नाम का उल्लेख करते हुए बताया है कि रिषड़ा कोलकाता से लगभग 8 मिल की दूरी पर स्थित है। बिप्रदास द्वारा रचित पुस्तक मानस मंगल काव्य में रिषड़ा शहर का उल्लेख मिलता है।
यह शहर मध्यकाल में छोटे-छोटे उद्योग धंधों के लिए अत्यंत प्रसिद्ध था। यहां की गर्म और आर्द्र जलवायु कपड़ा उद्योग के लिए अत्यंत ही उपयुक्त थी। यहां की जमीन धान, पाट और पान के पत्तों के उत्पादन के लिए भी जानी जाती रही है। दलदली इलाकों में मछुआरे मत्स्य पालन किया करते थे। जब निकटवर्ती शहर श्रीरामपुर अंग्रेजों के अधीन आया तब ब्रिटिश कंपनी ने इस शहर की देखभाल का जिम्मा अपने पर ले लिया और कालांतर में गांव समितियां नगर पालिकाओं में तब्दील हो गईं।
क्रमश:
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